जब भी कोई कंप्यूटर, मोबाइल या अन्य यन्त्र कार्य करता है, तो उस दौरान चलने वाले सॉफ्टवेयर रेम मेमोरी का प्रयोग करते है|
रेम मेमोरी दो प्रकार की होती है:
- SRAM – स्टेटिक रेम
- DRAM – डायनामिक रेम
स्टेटिक रेम (SRAM)
- इसमें रेम की स्मृति तभी तक रहती है, जब तक विद्युत् आपूर्ति चालू रहती है|
- यह अस्थिर मेमोरी है, बिजली जाने पर इसका डाटा खो जाता है|
- SRAM में 6-चिप्स-ट्रांजिस्टर के मैट्रिक्स का प्रयोग होता है
- इसमें किसी केपेसिटर का प्रयोग नहीं होता है|
- DRAM के मुकाबले इसमें ज्यादा चिप्स का उपयोग किया जाता है|
- इसे बनाने में ज्यादा लागत आती है|
- इसे कैश मेमोरी की तरह उपयोग किया जाता है|
- यह DRAM के मुकाबले तेज गति से कार्य करती है|
- इसमें विद्युत् की खपत ज्यादा होती है|
डायनामिक रेम (DRAM)
- डाटा को बनाये रखने के लिए इसे बार बार रिफ्रेश किया जाता है|
- यह SRAM के मुकाबले सस्ती होती है|
- इसे आम तौर पर सिस्टम मेमोरी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है|
- इसे उन मेमोरी सेल से बनाया जाता है जिसमें एक ट्रांजिस्टर और एक केपेसिटर होता है|
- इसका जीवन काल SRAM से कम होता है|
- यह SRAMके मुकाबले कम गति से कार्य करती है|
- इसे रेम के रूप में प्रयोग किया जाता है|
- इसमें बिजली की खपत भी कम होती है|